कलयुग में पूजे जाने वाले देवो में से एक प्रमुख देवता है हनुमान जी जिन्हे राम भक्त भी कहा जाता है। जीवन में आने आने वाली परेशानियों से छुटकारा पाने के लिए हनुमानजी को प्रसन्न करना जरुरी होता है। लेकिन हनुमान जी को कौनसा मंत्र सबसे अधिक प्रिय है इस बार में लोग नहीं जानते है। इस आर्टिकल (हनुमान जी को कौनसा मंत्र सबसे अधिक प्रिय है ( Hanuman Ji ko Kounsa Mantra Sabse Adhik Priya Hai) में आपको ऐसा मंत्र बता रहे है जिससे हनुमान जी सबसे जल्दी प्रसन्न होते है। इस मंत्र से हनुमान जी को प्रसन्न कर सकते है।
कौन है हनुमान जी (Hanuman Ji Koun Hai)
किसी भी व्यक्ति को या किसी भी देवी देवता को प्रसन्न करने से पहले यह जानना जरुरी होता है की वो कौन है। उसका सम्बन्ध किन-किन वस्तुओ से जुड़ा है, उनको क्या-क्या पसंद है , उनका जीवन कैसा है , ये तो सामान्य सी बात है जिसका जीवन जिनसे जुड़ा होता है वह उसी से प्रसन्न होता है। यहाँ हम हनुमान जी की बात कर रहे है तो जैसा की हम जानते हनुमान जी वानर रूप में है , वानर जितना जल्दी प्रसन्न होते है , उतने ही जल्दी गुस्सा भी हो जाते है। दूसरी बात वानर अपने स्वामी या मालिक के प्रति बहुत वफादार होते है उनका जीवन अपने स्वामी के लिए समर्पित होता है। यही बात हमें हनुमान जी के जीवन में देखने को मिलती है।
ये बात तो हम जानते है की कोई भी सच्चा सेवक , अपने स्वामी की प्रसन्नता के लिए कुछ भी कर सकता है। उसकी ख़ुशी अपने मालिक या स्वामी की ख़ुशी में ही समाहित होती है। क्योकि हनुमान जी भी भगवान श्री राम के परम सेवक , परम दास , श्री राम के दूत है तो ये तो जाहिर सी बात है हनुमान जी की ख़ुशी श्री राम की ख़ुशी में ही समाहित है।
हनुमान जी को कौनसा मंत्र सबसे अधिक प्रिय है ( Hanuman Ji ko Kounsa Mantra Sabse Adhik Priya Hai)
वैसे तो बहुत सारे मंत्र , स्तुति है जो हनुमान जी की प्रार्थना करती है लेकिन हम अब बात करे की हनुमान जी को कौनसा मंत्र सबसे अधिक प्रिय है तो इसका एक जवाब है "राम" यही वो महामंत्र है जिसको सुनकर हनुमान जी सबसे अधिक प्रसन्न होते है इसका प्रमाण हमें राम चरितमानस में देखने को भी मिलता है , यहाँ तक की स्वयं श्री राम ने हनुमान जी को वरदान दे रखा है की जहाँ भी राम नाम का कीर्तन होगा वहां हनुमान जी सूक्ष्म रूप में उपस्थित हो जायेगे।
यत्र यत्र रघुनाथकीर्तनं तत्र तत्र कृतमस्तकांजलिम् ।
बाष्पवारि परिपूर्ण लोचनं मारुतिं नमत राक्षसांतकम् ।।
भगवान शिव भी इसी मंत्र का जाप करते है। आपको पता होगा की हनुमान जी भगवान शिव के ही अवतार है जिन्होंने भगवान का साथ देने और आततायी शक्तियों का नाश करने के लिए हनुमान जी का अवतार लिया था।
महामंत्र जोइ जपत महेसू। कासीं मुकुति हेतु उपदेसू॥
महिमा जासु जान गनराऊ। प्रथम पूजिअत नाम प्रभाऊ॥
भावार्थ- जो महामंत्र है, जिसे महेश्वर शिव जपते हैं और उनके द्वारा जिसका उपदेश काशी में मुक्ति का कारण है तथा जिसकी महिमा को गणेश जानते हैं, जो इस 'राम' नाम के प्रभाव से ही सबसे पहले पूजे जाते हैं।
ये बात हनुमान चालीसा से भी ये बात ज्ञात होती है की हनुमान चालीसा की जब तुलसी दास रचना कर रहे थे तो हनुमान जी ने मना कर दिया था की मेरे गुणों का वर्णन मत करो इसलिए हनुमान चालीसा की शुरुआत श्री गुरु चरण सरोज रज, निज मन मुकुरु सुधारि। बरनऊं रघुवर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि। से की गयी है।
निष्कर्ष : - सबका एक ही निष्कर्ष निकलता है की यदि कोई दुनिया भर के मंत्र को छोड़ "राम" का जाप सच्चे दिल से करता है श्रद्धा से करता है तो एक न एक दिन उसे हनुमान जी की कृपा अवश्य प्राप्त होगी। राम का जाप करने वाले की तरफ हनुमान जी इस तरह आकर्षित होते है जैसे वर्षा काल में बादल पहाड़ो की तरफ। राम का जाप करने वाला हमेशा हनुमान जी कृपा दृष्टि में रहता है।
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